आज कुछ तस्वीरें हाथ आईं!
कितनी बीती यादें साथ लाईं!
उनका बचपन और हमारी जवानी!
नई नहीं, है ये बात पुरानी!
एक गुलाबी फ़्रॉक में,
छोटा सा प्यारा मुखड़ा!
पलक पर आंसू बैठा था,
जैसे चाँद का टूटा टुकड़ा!
सोती ही नहीं थी कभी,
बिना सुने कहानी!
नई नहीं, है ये बात पुरानी!
आँगन में चौका लगा कर,
खिड़की का काँच तोड़ा था!
ज़ोर से रो दिया था,
तो कोई भी कुछ न बोला था!
और प्यार ही आया था,
देख कर मासूम नादानी!
नई नहीं, है ये बात पुरानी!
इन अलबमों में छुपे है,
अनगिनत मनभावन क़िस्से!
एक भूली सी ज़िंदगी के,
सुनहरे रंग के हिस्से!
पन्ने पलटते पलटते कभी,
चेहरे पर हँसी, और कभी
आ जाता है, आँखो में पानी!!
ये नई हैं, नहीं बात पुरानी!!
