पूरा कटोरा भरा था
यहीं तो धरा था
ना बनी खीर ना मिठाई
फिर कहाँ गई मलाई!
ना चूहा आया ना बिल्ली मौसी
ना दोस्त ना ही पड़ोसी
ना चाची आईं ना ताई
फिर कहाँ गई मलाई!
जैसे कल शाम को बिना
चेतावनी एक सूचना आई
आ गई है खाते में
पूरे दो महीने की कमाई!
ख़ुशी से मैं तो बस
क्या कहूँ, फूली ना समाई
शायद बोनस भी आया होगा
ना जाने कितना बढ़ाया होगा!
पर देखा तो दिल डूब गया
ग्लास हाथ में से छूट गया
निकली बस दो तिहाई
ये तनख़्वाह, हे राम दुहाई!
बोनस मिला टैक्स स्लैब बढ़ा
हुआ सरकार का कट बड़ा
आख़िर हम राष्ट्र निर्माता हैं
ज़्यादा आया है पैसा
तभी तो ज़्यादा जाता है!
दिल पर पत्थर रख, कह दो
सबकी भलाई में ही
है अपनी भी भलाई!
और हाँ, सभी दोस्तों को
देर से ही सही
हिंदी दिवस की बधाई!
