आज हम अपना बड़ा सा घर छोड़ कर आ गए पैंतीस सालों के ताने बाने को तोड़ कर आ गए बहुत कुछ तो ले आयी पर छूट गया वहाँ बच्चों का बचपन रुनझुन क़दमों से खिलता था जो छूट गया वो घर का आँगन कहती थी जो दहलीज़ शाम को देर हो गयी बिटिया अबContinue reading “कुछ तो छूट ही गया!”