किताब में कोई सूखा गुलाब जैसे या कोट में पुराना सा सौ का नोट पाया बहुत सालो के बाद आज जब मेरे बचपन के दोस्त का फ़ोन आया बहुत सी बातें थी करनी कुछ ख़ाली जगहें थी भरनी स्कूल पार्क झूलों के कितने ही क़िस्से थे शैतानी और टिफ़िन में भी बराबर के हिस्से थेContinue reading “बचपन का दोस्त!”