आओ कुछ दूर और चले इन जंगली फूलों के बीच रात भर बातें करे या लेटें चुपचाप आँखे मींच चलो फिर से खिलखिलाए उन्ही अल्हड़पन की बातों पे पर मज़बूती रहे कदमों में जब तक है हाथ हाथों में अनकहे शब्दों से समझे दिल की धड़कन के इशारे गर्म और सर्द आने है अभी मौसमContinue reading “कुछ और!”