हर चाहत में छुपी हो एक कहानी, ये ज़रूरी तो नहीं! हर जोश में शामिल हो जवानी, ये ज़रूरी तो नहीं! बहने दो धीरे से ही उसको, तेज हो हर नदी की रवानी, ये ज़रूरी तो नहीं!! नाहक न थोपो किसी पर, उम्दा ही हो हर रस्म पुरानी, ये ज़रूरी तो नहीं! ढह जाने दोContinue reading “ज़रूरी?”