माँ कहाँ गयीं तुम?

उन रूहों से पूछो ग़म की कैसे निशानी बयान होती है?जिनकी औलाद सिर्फ़ उनकी तस्वीर देख कर जवान होती है!तुमको नहीं पता है माँ !पर इन चौबीस सालो में,अक्सर कमजर्फ ज़िंदगी से नयी सी पहचान होती है! तुमने नहीं देखा है माँ!पापा की आँखों का निस्तेज अकेलापन,कितना मुश्किल है साथी के बिना जीवन।और किसी दिनContinue reading “माँ कहाँ गयीं तुम?”

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