बाल बाल बचे

जन्मदिन मनाते हुए इस साल

मन में उठा फिर से एक सवाल

करते ही चले जाए colour

या अब सफ़ेद ही रहने दे ये बाल

आख़िर हो क्या रहा है इससे फ़ायदा

इंडिया में तो सिर्फ़ बुज़ुर्गों की इज़्ज़त का है क़ायदा

Strangers आंटी कहे या अम्माजी

अपनी तो रहेगी थोड़ी टेढ़ी टेढ़ी सी ही चाल

ना तो इससे  body के दर्द कम होते है

ना ही हल्के मन के ग़म होते है

फिर burgundy, mahogany हों

Brown या good old लाल

करते ही जाए colour

या अब सफ़ेद ही रहने दे बाल

दिल तो अभी भी झूमता है

जब पड़ती है सावन की बौछार

घूमते है अब भी बेफ़िक्र जब चलती है

November में सर्द बयार

तो क्या फ़र्क़ पड़ता है मेरे यार

काले भूरे लाल या फिर गोरे हो मेरे बाल!

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