ज़रा धीरे चल ऐ ज़िंदगी
कई हसरतों का बयान बाक़ी है!
भँवर ने बहाने चाहे थे जो
अभी उन घरौंदो का निशान बाक़ी है!
बेशक़ पूरे हुए हैं ख़्वाब बेहिसाब पर
अभी कुछ ख़ास मुक़ाम बाक़ी है!
राजा रानी बन के खेले हैं खेल
अभी किरदार-ए-ग़ुलाम बाक़ी है!
अफ़सोस है रज़ामंदी पर बेइंतहा
अभी अहम मुद्दों पर इंकार बाक़ी है!
ज़हीन कहकहे लगाए है अक़्सर
अभी नासमझ आँसुओ का हिसाब बाक़ी है!
बेसाख़्ता जवाब दे दिए यूँ ही पर
अभी कुछ बातों के सवाल बाक़ी है
अज़ीज़ कई जो शामिल-ए-हयात हैं
उन चेहरों से उतारना नक़ाब बाक़ी है!
बड़ा ग़ुरूर है नादानियों पे अपनी
रुक जा ऐ ज़िन्दगी
अभी कुछ हरकतों का अंजाम बाक़ी है!
